seervi prakash panwar
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सोमवार, 19 दिसंबर 2016
जलपरी
मेरे नील संमदर के गहरे पानी की,
इक जलपरी को कोन समझाएँ,
ये पल भर में बेवफ़ाओं को,
वफ़ाएँ करार देती है।
कोई हुसूल है नहीं इसका,
पल भर का खेल है इसका,
अनन्त सागर कि सुनामी बनकर,
लहरों पर नाच नचाती है।
--सीरवी प्रकाश पंवार
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