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मेने अपनी पहचान खोयी है तुजे पाकर, आँखों में है हँसी, फिर भी तर्क कहा पर हैं, यह राहे चल रही है, फिर भी तक़रार कहा पर हैं, क्यों हैं हम एक दूसरे से अलग, ज़रा सोचो तो थोडा, जीना तुझ को भी हैं, मुझे भी हैं --सीरवी प्रकाश पंवार
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