ज़रूरी नहीं था की दुनिया के रंग देखुँ,
जिगर का टुकड़ा बनाना भी ज़रूरी नहीं था,
बस ज़रूरी था की जन्नत से गर्भ में पल भर रहूँ,
वेसे तो बेटी कहना भी ज़रूरी नहीं था,
जिगर का टुकड़ा बनाना भी ज़रूरी नहीं था,
बस ज़रूरी था की जन्नत से गर्भ में पल भर रहूँ,
वेसे तो बेटी कहना भी ज़रूरी नहीं था,
सही कहाँ है किसी ने की किस्मत खुदा के हाथ मे,
मेरा खुदा भी तू और जीना भी तेरे हाथ मे,
शायद मेने जहाँ के रंग कुछ पहले छेड़ दिए,
कि रंग देखने के पहले ज़मी में दफ़ना दिया।
-- सीरवी प्रकाश पंवार
मेरा खुदा भी तू और जीना भी तेरे हाथ मे,
शायद मेने जहाँ के रंग कुछ पहले छेड़ दिए,
कि रंग देखने के पहले ज़मी में दफ़ना दिया।
-- सीरवी प्रकाश पंवार
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