सोमवार, 19 दिसंबर 2016

कहा जलाऊ मैं फुलजड़ी. ....

यह अंधड़ सी क्यों चल रही,
दीप जलने क्यों नहीं दे रही,
क्यों यह सुना-सुना आंगन,
फुलजड़ी जलने नहीं दे रहा,
आखिर क्यों वो टेढ़ी-मेढ़ी,
अपना रास नहीं आ रही,
माँ.....
अब तू क्यों जवाब नहीं दे रहीं..
मुझे पता है पापा नहीं आ रहें,
पर माँ आज का अखबार बोल रहा,
वो हजारों पटाखे फोड़ रहें,
माँ......
मत रो भीग रहा है आंगन,
कहा जलाऊ मैं फुलजड़ी. ....
                                                                                                        --सीरवी प्रकाश पंवार

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