सोमवार, 19 दिसंबर 2016

माँ आशियाने में छुपा ले ज़रा

कोई देख रहा है मुझे,
माँ आशियाने में छुपा ले ज़रा,
भोर की महक होठों से देकर,
माँ सपनो की दुनिया से जगा ले ज़रा,
ओढ़नी की आड़ में छुपाकर,
माँ दुग्ध पान करा ले ज़रा,
अमृत नील से तृप्त कर,
माँ आँखों में काजल लगा ले ज़रा,
दर्पण में खुद को ही दिखाकर,
माँ चेहरे पर लकीरें बना दे जरा,
फिर वो वीरांगना सुनकर,
माँ हर्दय उत्प्लावित कर दे ज़रा,
चेहरे पर थकान देखकर,
माँ सपनो की दुनिया बना दे ज़रा,
फिर वो ही लोरी सुना कर,
माँ तेरी कोख में सुला ले ज़रा,
कोई देख रहा है मुझे,
माँ आशियाने में छुपा ले ज़रा।

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