writer
मासूम हूँ पकड़ मत, अभी उड़ी हूँ रोक मत, चाँद पर भी पहला कदम रखा है हमने, ज़रा आसमां की उच्छाईया तो छूने दे।
कभी शरीर पर से, कभी कपड़ो पर से, अंगुली उठाई है चरित्र पर, ज़रा आपने अन्दर झांक कर तो देख। -सीरवी प्रकाश पंवार
एक टिप्पणी भेजें
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें