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यहाँ हर कोई अपना बेगाना लगता हैं माँ, न जाने क्यों हर कोई बेसहारा लगता हैं माँ, एक कदम मेने आगे क्या बढा लिया, पूरा जग क्यों ख़िलाफ़त लगता है माँ। --सीरवी प्रकाश पंवार
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