seervi prakash panwar
writer
सोमवार, 19 दिसंबर 2016
टूटते हूँए सपनो के पन्नोँ पर.............
टूटते हूँए सपनो के पन्नोँ पर,
खुद का ही इतिहास लिखुँ
तो,
ईश्क की तुच्छ सरहदो के आगे ,
मुझे ही राह दिखाते,
-seervi prakash panwar
A part of poem ishque a different think
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