सोमवार, 24 अप्रैल 2017

कर्ज चूका दोंगे तुम वीरो का

लाल रेत की तप्त धोरो के बेटों खाना छीन लोगे तुम हक़ का,
सरताज़ को पत्थर से पिटवा कर क्या हक़ अदा कर लोगे तुम दरिंदों का,
अरे देशद्रोहियो से तुम हाथ मिला देते कभी हाल तक न पुछा जवानों का,
नंग्न कर उस वीर चीता को तुम क़र्ज़ चूका दोंगे बलिदानों का।
--सीरवी प्रकाश पंवार

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