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जो गीत कागजो में नहीं था वो एक बूँद से बिख़र गया, जो धागे रूह तक नहीं था वो एक शब्द से टूट गया, फिर तो हरकतों को मेरे ही हवाले किया जाना था, क्योकि जो हक़ीक़त में नहीं था उसे हरकतों में लाया गया. -सीरवी प्रकाश पंवार
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