सोमवार, 24 अप्रैल 2017

आपनो की तरह..

कोई पढ़ रहा मुझे दिन में जुगनूं की तरह,
वो ही हस रहा मुझ पर रात के तारो की तरह,
मगर सूरज के आगे जुगनूं और चाँद के आगे तारे क्या मायने रखते,
फिर वो ही हस कर हाथ मसल रहा अपनो की तरह।
--सीरवी प्रकाश पंवार

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