सोमवार, 17 अप्रैल 2017

इक वज़ह

कोई रूठा हैं अपना, रुठने की इक वज़ह तो पूछु,
कोई हारा हैं अपना, हारने की इक वज़ह तो पूछु,
कम्बख़्त क़िस्मत में वज़ह बनना, हारने की ही लिखी,
पर उसका मेरे से जीतना, जीतने की इक वज़ह तो पूछु।
--सीरवी प्रकाश पंवार

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