सोमवार, 24 अप्रैल 2017

भगत की फांसी और झाँसी की कहानी

वो म्यानों की तलवारें और सर की पगड़ी
कही झुकीं नहीं हैं,
वो पैरो की छाप और आँगन की आवाज
कही खोयी नहीं हैं,
क्यों छोटी-छोटी हरकतों से हिल डुल
रहा है ऐ तू पाकिस्तान,
वो वीर प्रसूता माँ और तिलक लगाने
वाली बहन कही गयी नहीं हैं।

कारगिल की लड़ाई और सर्जिकल स्ट्राइक
को कही भूले नहीं हैं,
वीर भगत की फांसी और झांसी रानी की
कहानी कही फ़ीकी नहीं पड़ी हैं,
कश्मीर के सपनें छोड़ तू लाहोर की
चिंता कर अब,
यहाँ लेखको की कलम और कवियों की
जुबानी कही सोयी नहीं हैं।
--सीरवी प्रकाश पंवार

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