writer
कोई जब रूह गढ़ता हूँ तो वो शब्द बन जाता हैं, कोई जब शब्द गढ़ता हूँ तो वो आवाज़ बन जाता हैं, मै क्या दर्द लिखु इश्क़ और इश्क़ बाज का, जब मै रूप गढ़ता हूँ तो वो "माँ" बन जाता हैं। --सीरवी प्रकाश पंवार
एक टिप्पणी भेजें
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें