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हम इतने महशूर भी नहीं कि अखबारो की आवाज़ बने, इतने इश्क़बाज भी नहीं कि तेरे दिल की जमीं बने, तुम फस गयी हो इश्क़ के बाजारवाद की दुनिया में, पर हम इतने मोहताज़ भी नहीं कि खड़े ना हो सके। --सीरवी प्रकाश पंवार
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