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कोई अल्फ़ाज जुड़ा था तुझसे जो गीत बन गुनगुना रहा हैं, कोई अश्क़ जुड़ा था तुझसे जो इश्क़ बन बह रहा हैं, आँखों में तेरा एक राज लिखा था जो तू चुरा रही हैं, पर एक हुस्न जुड़ा था तुझसे जो कही टूट कर तड़प रहा हैं। --सीरवी प्रकाश पंवार
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