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पन्नें जब पलटे ख़त के तो एक लफ़्ज ना रहा रूह में, मासूम जब होठों को ताक रहा तो एक आंसू ना रहा आँखों में, कल जब तिरंगा ही घर आ जाएंगा तो क्या जवाब दूँ मै नन्ही पलकों को, गले लगाने का जब मन कर रहा तो हलचल ना रही धड़कनों में। -सीरवी प्रकाश पंवार
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