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तेरे इंतजार में कब शाम हो गयी पता ही नहीं चला, सपनो में ही कब भोर हो गयी पता ही नहीं चला, अब मै अश्क़ों में भींगी रात को में कैसे भूल सकता हूँ, जो रात कब तेरी हो गयी पता ही नहीं चला। --सीरवी प्रकाश पंवार
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