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हीरो की चमक आजकल रहने कहा दी, परिंदों को उड़ाने आंखिर उड़ने कहा दी, जो घर-घर फर्जी परिंदों के घरौंदे बनाए बैठे हो, रूह पर कपडे की रौनक रहने कहा दी। --सीरवी प्रकाश पंवार
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