शुक्रवार, 16 जून 2017

दो लफ़्ज़ क्या लिख...

दो लफ़्ज़ क्या लिख दिए उस फूल के,
ये तो महफ़िलों के मोहताज़ कर ही गए....
दो कदम क्या बढ़ा दिए उसे उठाने के,
ये तो शरीरों के रंग चढ़ा कर ही गए.....
मैरी जिंदगी तो पहले से मुक्कमल हैं साहब,
मै क्या रंग चढ़ाऊँ इन दिलों के.....
दो पल क्या गुजार लिए मुस्कुराहट के,
ये तो इश्क की छाप दिलो पर छोड़ गए...।
--सीरवी प्रकाश पंवार

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