writer
बेवजह सोये पंछी को छेड़ा नहीं जाता, ना मिले अग़र कुछ भी तो रोया नहीं जाता, आंखिर वो वजूद ही क्या रखता जो न हो हमारा, जो न ढूंढे किसी को तो पाया भी नहीं जाता। --सीरवी प्रकाश पंवार
एक टिप्पणी भेजें
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें