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कभी हस लिया करता हूँ खुद को आईने में देख कर, कभी पढ़ लिया करता हूँ खुद को अकेला देख कर, यह दो पल की चीजें आंखिर कब पूरी होंगी, कभी रो भी लिया करता हूँ हाथो की लकीरें देख कर। --सीरवी प्रकाश पंवार
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