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तुम दो फ़लक ख़त के लिख कर यू ही मत बिख़र जाना, तुम उम्मीद बने हो किसी की यू ही मत टूट जाना, न मिला अग़र कुछ भी फिर वो माँ तो पास रहेंगी तेरे, तुझे जीना हैं अपनों के लिए यू ही मत रूठ जाना। --सीरवी प्रकाश पंवार This is a crime on your parents.
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