मंगलवार, 20 जून 2017

असामंजस्य 2

मै रात भर नहीं सोया कि कोई शिक़वा गीला ना हो,
मै रात भर नहीं रोया कि कोई अल्फ़ाज भीगा ना हो,
जब डोरे(राखी) की गाँठ तोड़ कर सुई(इश्क़) में पिरोया हो,
तब मै रात भर नहीं लिखा कि वो गर्भ(माँ) शर्मिन्दा ना हो।
--सीरवी प्रकाश पंवार

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