सोमवार, 5 जून 2017

हाथों की लकीरों में...

अक़्सर हाथों की लकीरों में जो ख़ुद को ढूंढा करता हूँ,
जो रूप गढ़ा था एक अबला ने उसे बनाया करता हूँ,
मुझे बस मोहलत मत देना ख़ुदा की ख़ुद के हाथों मौत लिख लू,
उन लकीरों में ख़ुद को पाकर अक़्सर पराया समझता हूँ।
--सीरवी प्रकाश पंवार

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