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ना चला अग़र मै तो क्या मेरी राह बन जाओंगे तुम, ना लिखा पल भर अग़र मै तो क्या अनपढ़ ठहरा दोंगे तुम, मै नील गगन में बादल की लकीरों से इतिहास तुम्हारा उकेर दूंगा, तुम्हे ना मिला अग़र कोई तो क्या मुझे ही ज़रिया बना लोगे तुम। --सीरवी प्रकाश पंवार
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