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उज्वल मन के तलवित रिश्तो की, बागड़ोर तू संभाल कर रखना, मै तो था अज़ीब, हूँ अज़ीब और रहूंगा अज़ीब ही, तू भी ज़रा अज़ीब बन जाना। --सीरवी प्रकाश पंवार
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