गुरुवार, 11 मई 2017

अज़ीब हूँ..

उज्वल मन के तलवित रिश्तो की,
बागड़ोर तू संभाल कर रखना,
मै तो था अज़ीब, हूँ अज़ीब और
रहूंगा अज़ीब ही,
तू भी ज़रा अज़ीब बन जाना।
--सीरवी प्रकाश पंवा

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