शायद तेरा अकेलापन बहुत कुछ कह जाता हैं,
आँसुओ को आँखों में ही रोक जाता हैं,
भूल जाता हूँ खुद को अपनों की हरकतों से,
फिर तुझे चुप देखकर लफ्ज़ भी टूट जाता हैं।
बहुत कुछ बताया हैं तेरे इन नयन समंदर ने,
बहुत कुछ पाया हैं तेरी इस खामोशी में,
जब साथ हो तुम तो डर न लगा हर मोड़ पर,
हर राह पर चलाया हैं तेरी इन हरकतों ने,
--सीरवी प्रकाश पंवार
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें