मेरी ज़िद हैं इस जग़ह के कण-कण में,
मै यहाँ कैसे राह बनाऊँ!
मै टूटा हूँ इस जग़ह पर एक पल में,
मै यहाँ कैसे घऱ बनाऊँ!
ये जो बड़े-बड़े पत्थरों पर नाम लिखकर,
बदनाम जो हुआ हूँ मै!
आख़िर उठा हूँ मै इसी जग़ह से,
मै यहाँ कैसे रूप बनाऊँ!!
--सीरवी प्रकाश पंवार
मै यहाँ कैसे राह बनाऊँ!
मै टूटा हूँ इस जग़ह पर एक पल में,
मै यहाँ कैसे घऱ बनाऊँ!
ये जो बड़े-बड़े पत्थरों पर नाम लिखकर,
बदनाम जो हुआ हूँ मै!
आख़िर उठा हूँ मै इसी जग़ह से,
मै यहाँ कैसे रूप बनाऊँ!!
--सीरवी प्रकाश पंवार
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