शुक्रवार, 22 सितंबर 2017

तेरी यह अलग सी पहचान..



"तेरी यह अलग सी पहचान..."
(Dear cute)
अग़र खड़ा हूँ कही तो,
एक अद्रश्य प्रतिबिम्ब हूँ,
जो अमिट हूँ कही तो,
सूरज की हरकतों में हूँ,
इस बेदाग से....
रूह की पहचान,
तेरे हीरों से उसूलों से जड़ित हैं....
इन अमापित सी....
ऊचाईयों की पहचान,
तेरे अद्वित्य सी हरकतों से अमिट हैं....
एक सवाल सा खड़ा कर देती,
तेरी यह अज़ीब से पहचान....
पर मुझे अजीब सा बना देती,
तेरी यह अलग सई पहचान....
वक्त बदल गया मगर....
मै तुम वही के वही,
पर वक्त के आगे भी अलग बना देती हैं,
तेरी यह अज़ीब से पहचान...
--सीरवी प्रकाश पंवार
For dear cute

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