गुरुवार, 26 जनवरी 2017

जिस माँ ने सिंदूर लगाया था......

जिस माँ ने सिन्दूर गवाया था,
उस माँ ने तिलक लगाया था,
अरे पूछो तुम उस माँ से,
क्या डिब्बी में सिन्दूर कम था,
अरे पूछो तुम उस माँ से,
क्या स्तन में दूध कम था,
अरे तुमने तो राजनीति की आड़ में,
बलिदान का कर्ज नोटों से चुकाया हैं,
फिर वही तिरंगा लहराकर,
जुबां से तीर चलाया हैं,
अरे उस वीर प्रसूता माँ ने,
अपना सिन्दूर और दूध गवाया हैं,
तुमने तो देशद्रोहियो से कन्धा मिलाकर,
फिर उस बलिदान को नीचा दिखाया हैं,
अरे शर्म करो दोहरे चरित्र पर,
तूने तिरंगे को मिट्टी में मिलाया हैं।
--सीरवी प्रकाश पंवारl

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