आज तेरी आवाज में,
शालीनता कही गायब हैं,
आज तेरी आवाज में,
स्थिरता कही कायम हैं,
आज फिर मेरे दिमाग की,
लकीरें वही कायम हैं,
जरा मिटा देना इन लकीरो को,
यह धागे बहुत पुराने हैं,
भले ही लकीरे न हो इन धागों की,
वसीयत जरूर बनानी हैं।
शालीनता कही गायब हैं,
आज तेरी आवाज में,
स्थिरता कही कायम हैं,
आज फिर मेरे दिमाग की,
लकीरें वही कायम हैं,
जरा मिटा देना इन लकीरो को,
यह धागे बहुत पुराने हैं,
भले ही लकीरे न हो इन धागों की,
वसीयत जरूर बनानी हैं।
रिश्ते दिलो के बनना भी जरूरी नहीं,
बस तेरा तेरा जैसा मीत कही देखा नहीं,
भले ही वक्त ना हो बात करने का,
पर तेरे दर्द में याद करना भूलना नहीं।
--सीरवी प्रकाश पंवार
जन्म दिन पर अपनी अजीज मीत क़े लिए।
बस तेरा तेरा जैसा मीत कही देखा नहीं,
भले ही वक्त ना हो बात करने का,
पर तेरे दर्द में याद करना भूलना नहीं।
--सीरवी प्रकाश पंवार
जन्म दिन पर अपनी अजीज मीत क़े लिए।
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