सोमवार, 2 जनवरी 2017

सूखे हुए मंजरों की तस्वीर बनती हैं.....

सूखे हुए मंजरों की तस्वीर बनती हैं
मै हूँ यहाँ मेरी याद कहाँ बनती हैं
भूल मत जाना सुखा मंज़र समझकर,
आग हमेशा इन सूखे मंजर में सुलगती हैं

--सीरवी प्रकाश पंवार

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