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सूखे हुए मंजरों की तस्वीर बनती हैं मै हूँ यहाँ मेरी याद कहाँ बनती हैं भूल मत जाना सुखा मंज़र समझकर, आग हमेशा इन सूखे मंजर में सुलगती हैं
--सीरवी प्रकाश पंवार
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