writer
यह आँखों में आंसू नापाक हरकतों के हैं, यह आँगन में लकीरे ज़िहाद की हैं, ज़रा पीछे मुड़ के देख तेरा जहा खड़ा हैं... यह हाथों में कलम नाजायज़ हरकतों की हैं। --सीरवी प्रकाश पंवार
एक टिप्पणी भेजें
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें