मंगलवार, 28 फ़रवरी 2017

"सुखा बारूद"

              "सुखा बारूद"

हर रोज फूल सा खिलने की चाहत थी उसकी,
सूखे बारूद को को अंगारे की चाहत थी उसकी,
बेवजह बारिश कर क्या कर दिया तूने,
सूखे बारूद को गीला कर दिया तूने।

अगर हाथ माँगा होता तो हाथ थमा देता,
विश्वास माँगा होता तो ज़माना थामा देता,
फिर पेड़ नंगा करके यह क्या कर दिया तूने,
दिल माँगा तो ज़माने से रिहा कर दिया तूने।
--सीरवी प्रकाश पंवार
(हल ही DU घटना से प्रेरित,वीर जवान की बेटी के लिए)


शनिवार, 18 फ़रवरी 2017

यह आँखों में आंसू नापाक......

यह आँखों में आंसू नापाक हरकतों के हैं,
यह आँगन में लकीरे ज़िहाद की हैं,
ज़रा पीछे मुड़ के देख तेरा जहा खड़ा हैं...
यह हाथों में कलम नाजायज़ हरकतों की हैं।
--सीरवी प्रकाश पंवार

सोमवार, 6 फ़रवरी 2017

मुझे अहसास हुआ हैं.....

मुझे अहसास हुआ हैं की,
तुमने तीर चलाया हैं,
इश्क की बात छोड़ तुमने,
बेवफाई सामने लायी हैं,
फिर कहोगी सीरवी तुम,
तर्क-वितर्क करते हो,
मुझे मत कौस ऐ पागल,
तूने आपनो का सहारा लिया हैं।

कितनी कश्ती डूबी होंगी,
तेरे हुस्न की बहारों में,
मेने तो बचने का सहारा लिया,
तेरी बेवफाई अदाओं से।