ऐ खुदा मेरे पलड़े में मौत लिख दे,
या मेरी किस्मत का नया आयाम गढ़ दे,
कल भी हारा था आज भी हारा हूँ,
मेरी किस्मत में बस एक जीत लिख दे,
पलकों को कभी जपकया तक नहीं,
फिर यह आँखों के सामने दीवार क्यों?
दिल कभी किसी का दुखाया तक नहीं,
फिर यह आँखों में खालीपन का अहसास क्यों?
अश्क़ हर पल यही पूछते मेरे से कि,
सब कुछ किया भूला कुछ भी नहीं,
फिर भी इन आँखों में वो उम्मीद क्यों?
--सीरवी प्रकाश पंवार